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Cash Book in Hindi– व्यावसायिक व्यवस्था में एक व्यवसाय या व्यक्ति के लिए वित्तीय लेखा-जोखा बनाने का महत्वपूर्ण हिस्सा कॅश बुक होता है। कॅश बुक एक प्रकार का लेजर होता है जिसमें व्यावसायिक गतिविधियों के दौरान कॅश से जुडी हर लेन-देन की सूचि बनायीं जाती है। इसमें व्यावसायिक व्यवस्था के द्वारा प्राप्त की गयी हर कॅश ट्रांसक्शन को व्यवस्थित ढंग से दर्ज किया जाता है। इस आर्टिकल में हम कॅश बुक के विषय में विस्तार से बात करेंगे और देखेंगे की कॅश बुक क्या होती है? और कैसे बनाया जाता है।
Cash Book Kya hai
Cash Book एक महत्वपूर्ण वित्तीय प्रक्रिया है जो व्यावसायिक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होती है। कॅश बुक में व्यावसायिक व्यवस्था के द्वारा प्राप्त की गयी कॅश ट्रांसक्शन्स व्यवस्थित ढंग से दर्ज की जाती हैं। यह एक प्रकार का लेजर होता है जो कॅश के लेन-देन को समय के अनुरूप लिखने में मदद करता है। कॅश बुक व्यावसायिक व्यवस्था के व्यावसायिक लेखा-जोखा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और व्यापारी को अपनी व्यावसायिक व्यवस्था को सुधरने में मदद करता है।
Cash Book कैसे बनाया जाता है?
कॅश बुक बनाना एक सरल प्रक्रिया है लेकिन इसके लिए कुछ नियमों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण होता है। नीचे दिए गए कदम आपको कॅश बुक बनाने में मददगार होंगे:
A.Cash Book का फॉर्मेट
सबसे पहले आपको कॅश बुक का फॉर्मेट तैयार करना होगा। कॅश बुक के फॉर्मेट में व्यावसायिक व्यवस्था के द्वारा प्राप्त की गयी कॅश ट्रांसक्शन्स के लिए अलग-अलग स्थानों को दर्ज किया जाता है.
इस कॅश बुक फॉर्मेंट से समझे
Date | Particular | Cash IN | Cash Out | Cash Balance |
1 Jan 2023 | (Ram) | 8,000 | 5,000 | 3,000 |
2 Jan 2023 | Supplier (Mohan) | 5,000 | 0 | 8,000 |
3 Jan 2023 | Customer | 0 | 3,000 | 5,000 |
(B) हर रोज़ की एंट्री
हर दिन आपको कॅश बुक में हर प्राप्ति और व्यय का विवरण दर्ज करना होगा। इसमें सारी ट्रांसक्शन की सूचि होती है जैसे की कॅश आया,कॅश गया या किसी और प्रकार की व्यावसायिक लेन-देन। हर ट्रांसक्शन को नियमानुसार लिखना चाहिए।
(C) लेन–देन के प्रूफ (प्रमाण)
कॅश बुक में हर ट्रांसक्शन के लिए प्रमाण-पत्र(Proof) या बिल को साथ में रखना महत्वपूर्ण है। यह प्रमाण पत्र आपके फाइनेंसियल रिकार्ड्स को सुधारने में मददगार होते हैं और व्यावसायिक व्यवस्था के द्वारा की गयी ट्रांसक्शन को सही ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
कॅश के प्रकार (Type of Cash in Hindi)
कॅश बुक में कॅश के दो प्रकार होते है:
Cash In Hand (हाथ में रुपये)
यह वह कॅश होता है जो व्यावसायिक गतिविधियों के दौरान व्यवसायी के पास मौजूद होता है। इससे व्यावसायिक व्यवस्था के Day-to-Day व्यावसायिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। कॅश इन हैंड की सूची कॅश बुक में हर लेन-देन के साथ दर्ज होती है।
Cash In Bank (बैंक में रुपये)
यह वह कॅश होता है जो व्यावसायिक व्यवस्था के बैंक खाते में रखा जाता है। व्यवसायी अपने व्यावसायिक व्यवस्था के लिए बैंक खाते का उपयोग करता है और इससे भी व्यावसायिक व्यवस्था के कॅश बुक में व्यावसायिक ट्रांसक्शन्स दर्ज किये जाते हैं।
Cash Book के प्रकार (Type of Cash Book)
कॅश बुक के प्रकार व्यावसायिक व्यवस्था के अनुरूप अलग-अलग होते हैं जिनमे से कुछ प्रमुख प्रकार नीचे दिए गए हैं:
Simple Cash Book (सरल कॅश बुक)
सिंपल कॅश बुक एक बेसिक प्रकार का कॅश बुक होता है। इसमें सिर्फ कॅश ट्रांसक्शन्स के लिए एक ही कॉलम होता है जहाँ पर कॅश आने और कॅश जाने की एंट्री होती है। इसमें व्यावसायिक व्यवस्था के छोटी-मोती कॅश ट्रांसक्शन्स को दर्ज किया जाता है। सिंपल कॅश बुक व्यावसायिक व्यवस्था में व्यवसायी के लिए सरल तरीके से कॅश का लेखा-जोखा रखने के लिए उपयोगी होता है। इस कॅश बुक के एक खाने वाली कॅश बुक भी कहते है।
Double Column Cash Book (द्वी स्थान कॅश बुक)
डबल कॉलम कॅश बुक में कॅश ट्रांसक्शन्स को दो भागों में दर्ज किया जाता है: एक भाग कॅश आने के लिए और दूसरा भाग कॅश जाने के लिए. इस प्रकार के कॅश बुक में कॅश इन हैंड (हाथ में रुपये) और कॅश इन बैंक (बैंक में रुपये) दोनों प्रकार के ट्रांसक्शन्स दर्ज किये जाते हैं। डबल कॉलम कॅश बुक व्यावसायिक व्यवस्था के लिए अधिक सुविधा प्रदान करता है और व्यावसायिक लेन-देन को सही रूप से प्रस्तुत करता है।
Three Column Cash Book (तीन स्थान कॅश बुक)
थ्री कॉलम कॅश बुक में कॅश ट्रांसक्शन्स को तीन भागों में दर्ज किया जाता है: एक भाग कॅश आने के लिए दूसरा भाग कॅश जाने के लिए और तीसरा भाग डिस्काउंट का विवरण दर्ज करने के लिए होता है। इसमें व्यावसायिक व्यवस्था के कॅश ट्रांसक्शन्स को और भी विस्तार से दर्ज किया जाता है और इससे व्यवसायी को कॅश की स्थिति को सही ढंग से मॉनिटर करने में मदद मिलती है।
Petty Cash Book (छोटी रुपये कॅश बुक)
पेट्टी कॅश बुक व्यावसायिक व्यवस्था में छोटी-मोती व्यावसायिक व्यवस्था के लिए बनाया जाता है। इसमें रोजमर्रा के ट्रांसक्शन्स को दर्ज किया जाता है जैसे की ऑफिस एक्सपेंस,चाय-कॉफ़ी के खर्च या अन्य छोटी व्यावसायिक लेन-देन. इसमें एक व्यक्ति पेट्टी कॅश का प्रबंध रखता है।
इन कॅश बुक के प्रकार व्यावसायिक व्यवस्था के अनुरूप चुने जा सकते हैं और व्यावसायिक लेखा-जोखा को सही रूप से बनाने और सुधारने में मदद करते हैं।
FAQ:
Q: कॅश बुक बनाने के क्या फायदे हैं?
Ans: कॅश बुक व्यवसायी को कॅश की स्थिति को सही ढंग से मॉनिटर करने और व्यावसायिक व्यवस्था के लिए फाइनेंसियल रिकार्ड्स को सुधारने में मदद करता है।
Q: कॅश बुक के कितने प्रकार होते हैं?
Ans: कॅश बुक चार के प्रकार होते हैं: सिंपल कॅश बुक,डबल कॉलम कॅश बुक, थ्री कॉलम कॅश बुक और पेट्टी कॅश बुक।
Q: सिंपल कॅश बुक क्या होता है?
Ans: सिंपल कॅश बुक में सिर्फ कॅश ट्रांसक्शन्स के लिए एक ही कॉलम होता है जहाँ पर कॅश आने और कॅश जाने की एंट्री होती है।
Q: डबल कॉलम कॅश बुक कैसे काम करता है?
Ans: डबल कॉलम कॅश बुक में कॅश ट्रांसक्शन्स को दो भागों में दर्ज किया जाता है: कॅश आने के लिए और कॅश जाने के लिए. इससे कॅश इन हैंड और कॅश इन बैंक अलग-अलग रूप से दर्ज होता है।
Q: कॅश बुक कैसे बनाया जाता है?
Ans: कॅश बुक बनाने के लिए आपको एक फॉर्मेट तैयार करना होगा जिसमें कॅश ट्रांसक्शन्स के लिए अलग-अलग स्थानों को दर्ज किया जाता है। फिर हर दिन की कॅश प्राप्ति और व्यय का विवरण दर्ज किया जाता है।
Q: कॅश बुक का उपयोग क्यों जरुरी है?
Ans: कॅश बुक व्यावसायिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है क्यूंकि इससे कॅश की स्थिति को सही रूप से प्रतिपादित किया जाता है और व्यावसायिक व्यवस्था के फाइनेंसियल रिकार्ड्स को सुधारा जा सकता है।
निष्कर्ष: इस आर्टिकल में हमने कॅश बुक (Cash Book In Hindi) के विषय में विस्तार से बात की है और आपको इस महत्वपूर्ण वित्तीय प्रक्रिया के बारे में सारी जरुरी जानकारी प्रदान की है। अगर आपको और अधिक जानकारी या सुझाव चाहिए तो हमें बता सकते हैं।
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