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Tax in Hindi – दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे Tax के बारे में Tax kya hai ? तथा Tax Kitne prakar ke hote hain
Tax Kya hai || Tax in Hindi || Types of Tax In Hindi || What is Tax in Hindi || Tax ke Prakar || Tax Kitne Prakar ke Hote hain
टैक्स क्या होता है? Tax Kya hai?
टैक्स एक अनिवार्य शुल्क होता है जिसे सरकार द्वारा किसी व्यक्ति,कंपनी या फर्म से लिया जाता है। तथा यह कर सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संगठन को सुविद्या प्रदान करने वाले सार्वजानिक कार्य करने के लिए यह एकत्र किया जाता है।
भारत के संविधान से कर लगाने का अधिकार भारत सरकार को प्राप्त है जोकि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के माध्यम से हर व्यक्ति से लिया जाता है।
टैक्स के प्रकार (Types of Tax in Hindi)
व्यक्ति हो,कंपनी हो या फर्म सभी को किसी न किसी रूप में कर सरकार को देना ही होता है। टैक्स को दो भागो में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार है।
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
प्रत्यक्ष कर से आशय ऐसे कर से होता है जो टैक्स जिस करदाता पर लगाया जाता है उसी करदाता के द्वारा सरकार को कर का भुगतान करना होता है।
आसान शब्दो में डायरेक्ट टैक्स ऐसा टैक्स है जो सीधे तोर जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है उसी व्यक्ति के द्वारा सरकार को इस कर का भुगतान करना होता है। इस टैक्स के मुख्य उदहारण इनकम टैक्स और सम्पति कर है।
चलिए अब जानते है डायरेक्ट टैक्स के अंतर्गत कौन-कौन से कर आते है..
A). आयकर (Income Tax) :
इनकम टैक्स सरकार द्वारा इनकम टैक्स अधिनियम 1961 की धारा में दिया गया है। इनकम टैक्स से आशय ऐसे कर से है जो सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में व्यक्तियौ तथा व्यवसाय से उत्पन्य आय पर लगाती है। कानून के अनुसार, करदाताओं को अपने कर दायित्व को निर्धारित करने के लिए हर साल अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य होता है।
B). धन कर (Wealth Tax) :
वेल्थ कर एक्ट 1951 के अंतर्गत किसी व्यक्ति,कंपनी या HUF की नेट वेल्थ यानी शुद्ध सम्पति पर सम्पति कर लगाया जाता था। वेल्थ कर को सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2015 से बंद कर दिया गया है इसके जगह पर सरकार द्वारा व्यक्ति की 1 करोड़ से अधिक आय पर 15% की दर से सरचार्ज में बदल दिया गया है। तथा कंपनी पर यह नियम 10 करोड़ से अधिक आय पर लागू हुआ है।
C). उपहार टैक्स (Gift Tax) :
उपहार टैक्स की शुरुआत 1958 में हुई थी तथा साल 1998 में इसको बंद भी कर दिया गया था इसके बाद साल 2004 में फिरसे गिफ्ट टैक्स को लाया गया। इस टैक्स के अंतर्गत वर्तमान में यदि कोई व्यक्ति 50 हज़ार रूपये या इससे ज्यादा रूपये के गिफ्ट प्राप्त करता है उसको गिफ्ट पर टैक्स देना होता है। यह गिफ्ट में लिए गए पैसे या उपहार को करदाता की आय में जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार की इनकम को फिलहाल अन्य शीर्ष की आय के अंतर्गत रखा गया है।
D). निगमित कर (Corporate Tax):
निगमित कर यानी कॉर्पोरेट टैक्स से आशय ऐसे टैक्स से है जो बड़ी बड़ी कंपनी के प्रॉफिट या इनकम पर लगाया जाता है। कॉर्पोरेट टैक्स कंपनी एक्ट के तहत आता है। फाइनेंसियल ईयर 2019-20 से कॉर्पोरेट टैक्स की दर 22% कर दी गयी है पहले यह टैक्स 30% की दर से लगता था।
E). पूंजी लाभ कर (Capital Gain Tax) :
किसी भी प्रकार की सम्पति या निवेश जैसे शेयर,म्यूच्यूअल फण्ड आदि को बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। यह टैक्स को दो प्रकार से लगाया जाता है जो निम्न प्रकार है।
1.शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स : एक साल से कम अवधि में शेयर या सम्पति को बेचने पर जो प्रॉफिट होता है उस पर 15% की दर से शार्ट-टर्म कैपिटल गेन लगाया जाता है।
2.लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स : एक साल से अधिक समय के बाद शेयर या सम्पति को बेचने पर अगर 1 लाख से अधिक प्रॉफिट होता है तब उस पर 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है।
अप्रत्क्षय कर (Indirect Tax)
अप्रत्क्षय कर से आशय ऐसे कर से होता है जो लगभग सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। यह कर सीधे तौर पर किसी एक व्यक्ति की आय पर नहीं लगता है।
उदहारण से समझे : जैसे किसी विक्रेता के द्वारा माल या सेवा खरीदते समय माल की कीमत में टैक्स की कीमत भी जोड़ कर खरीदता है उसी प्रकार बेचने पर वह अपने प्रॉफिट के साथ टैक्स जोड़ कर अपने ग्राहक से लेता है और सरकार को जमा करा देता है।
जैसे मान लेते है
- वस्तु का विक्रय मूल्य : 100/-
- टैक्स रेट @ 10% : 10/-
- टैक्स के साथ विक्रय मूल्य : 110/-
- खरीद पर चुकाया गया टैक्स : 8/-
- सरकार को भुगतान किया जाने वाला अमाउंट : 2/-
जीएसटी : भारत में वैट,सीमा शुल्क,उत्पाद शुल्क,सेनवैट को खत्म करके 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था। जीएसटी के अंतर्गत सभी प्रकार की वस्तु और सेवाओं पर 0% से लेकर 28% तक के जीएसटी रेट से कर लगाया जाता है।
अन्य प्रकार के टैक्स
भारत सरकार के द्वारा इन दो टैक्स के अलवा भी कुछ छोटे उपटैक्स लगाए जाते है जिनसे सरकार के खजाने में वृद्धि होती है चलिए जानते है..
सम्पति कर (Property Tax):
यह कर हर सिटी में नगर निगम के माध्यम से राज्य सरकार को मिलता है यह कर शहर की प्रत्येक सम्पति के मालिक पर सालाना यह टैक्स लगाया जाता है। इस कर को नगर निगम कर या रियल स्टेट कर के नाम से भी जाना जाता है।
व्यावसयिक कर (Professional Tax):
सरकार द्वारा यह कर उन लोगो की आय पर लगाया जाता है जो या तो सैलरी पर्सन है या कोई प्रोफेशन से सम्बंधित कार्य जैसे,डॉक्टर,वकील,सीए पर लगाया जाता है। इस कर की दर हर राज्य में अलग-अलग होती है। कुछ राज्य इस कर को नहीं लगाते है।
शिक्षा उपकर (Education Cess):
यह कर सरकार द्वारा शिक्षा कार्यक्रमों की देखवाल के लिए लाया गया था यह कर टैक्स के ऊपर लगाया जाता है इनकम टैक्स के अंतर्गत इसकी दर 4% है।
मनोरंजक कर (Entertainment Tax) :
सरकार द्वारा मनोरंजक कर टेलीविज़न,फिल्मो,प्रदर्शनियों,वेबसेरिस आदि पर लगाया जाता है।
प्रवेश कर (Entry tax):
मध्य प्रदेश,गुजरात,दिल्ली और असम जैसे कुछ राज्य में इ-कॉमर्स कंपनी के माध्यम से आने वाली वस्तु और सेवा पर यह टैक्स 5.5% से 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है।
निष्कर्ष : इस आर्टिकल में आपने जाना कि Tax Kya hai ? तथा Tax Ke prakar ?
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