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GST Composition Scheme in Hindi –जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम एक ऐसी स्कीम है जो छोटे व्यवसायिकों और कारोबारियों के लिए तैयार किया गया है ताकि उनको जीएसटी के नियमो और प्रक्रिया से छुटकारा मिल सके। इस स्कीम के अंतर्गत कारोबारियों को कम रेट पर जीएसटी भरना होता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की वह इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा सकते हैं। चलिए इस आर्टिकल में जानते है GST Composition Scheme Kya hai? तथा यह स्कीम का फायदा कौन-कौन उठा सकता है साथ ही इसके अंतर्गत कितना टैक्स भरना पड़ता है।
जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम क्या है? (GST Composition Scheme Kya hai ?)
Gst composition scheme एक ऐसा टैक्स रेजिमे है जहाँ पर कारोबारियों को अपने टर्नओवर के आधार पर फिक्स रेट पर जीएसटी देना होता है। इस स्कीम के तहत कारोबारियों को हर त्रिमाही में एक छोटा सा रिटर्न फाइल करना होता है जिसमें उनका टोटल टर्नओवर और उस पर लगने वाला जीएसटी दिखाया जाता है।
Gst composition scheme कौन नहीं ले सकता?
Gst composition scheme का लाभ सभी व्यवसायी या कारोबारियों के लिए उपलब्ध नहीं है। कुछ व्यवसायी इस स्कीम का लाभ नहीं उठा सकते हैं. नीचे दिए गए कुछ प्रमुख व्यवसायी या कारोबारियों को इस स्कीम का लाभ नहीं मिलता है:
टर्नओवर लिमिट क्रॉस करने वाले व्यवसायी: अगर आपका वार्षिक टर्नओवर 1.5 करोड़ से अधिक है तो आप जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम का लाभ नहीं उठा सकते। यानि की अगर आपके बिज़नेस का टर्नओवर 1.5 करोड़ से ज्यादा है तो आपको रेगुलर जीएसटी रेजिमे में ही रहना होगा।
आइस क्रीम,पान मसाला और सप्लाई चैन वाले: यह व्यवसायी जो आइस क्रीम,पान मसाला तम्बाखू या सप्लाई चैन से जुड़े हैं उन्हें भी कम्पोजीशन स्कीम का लाभ नहीं मिलता है। यह व्यवसायी दूसरे व्यवसायियों से अलग दर पर टैक्स भरते हैं।
इंटरस्टेट सप्लायर्स: अगर आप गुड्स को स्टेट के बाहर भेजते हैं या दूसरे राज्यों में व्यापार करते हैं तो आप कम्पोजीशन स्कीम का लाभ नहीं उठा सकते। यह स्कीम सिर्फ इंटरस्टेट सप्लायर्स के लिए है।
इ-कॉमर्स ऑपेरटर: इ-कॉमर्स के रूप में सप्लाई करने वाले करदाताओं को कम्पोजीशन स्कीम के फायदा नहीं मिलता है। (इ-कॉमर्स ऑपरेटर जैसे – फ्लिपकार्ट या ऐमज़ॉन ऑनलाइन ओपेरटर के माध्यम से माल सप्लाई करने वाले )
Casual Taxpayer और NRI: Casual टैक्सपेयर और नॉन-रेजिडेंट (NRI) भी कम्पोजीशन स्कीम के फायदा नहीं ले सकते।
इन व्यवसायियों को कम्पोजीशन स्कीम का लाभ नहीं मिलता है और उन्हें रेगुलर जीएसटी रेजिमे में ही रहना होता है।
कम्पोजीशन कारोबारियों के लिए नियम और शर्ते (Gst composition scheme rules in hindi)
इंटरस्टेट व्यापार पर पाबन्दी: जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम का लाभ सिर्फ इंटरस्टेट (राज्य के अंदर) व्यापार करने वाले कारोबारियों को मिलता है। यदि आप राज्यों के बीच या राज्य के बाहर व्यापार करते हैं तो आप इस स्कीम का लाभ नहीं उठा सकते।
इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा: कम्पोजीशन स्कीम लेने वाले कारोबारियों को अपने द्वारा खरीदे गए मॉल पर लगने वाले जीएसटी का कोई भी क्रेडिट नहीं प्राप्त होता। यानि की आप अपने खरीदे गए मॉल से जुडी जीएसटी को अपने व्यापार में इस्तेमाल नहीं कर सकते।
इनवॉइस पर “कम्पोजीशन टैक्सेबल पर्सन” लिखे: कम्पोजीशन स्कीम वाले कारोबारियों को अपनी हर इनवॉइस पर कम्पोजीशन टैक्सेबल पर्सन लिखना होता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है की उनका व्यवसाय कम्पोजीशन स्कीम के अंतर्गत है।
त्रिमाही में रिटर्न फाइल करना: कम्पोजीशन स्कीम वाले कारोबारियों को हर त्रिमाही में एक जीएसटी रिटर्न फाइल करनी होती है। इस रिटर्न में उनको अपना कुल टर्नओवर और उस पर लगने वाला जीएसटी की जानकारी देना होता है।
रिवर्स चार्ज सिस्टम के अंतर्गत: रिवर्स चार्ज सिस्टम के अंतर्गत आने पर आपको जीएसटी के नार्मल रेट्स के हिसाब से जीएसटी के भुगतान करना होगा।
यदि आप इन नियमो और शर्तों को अनुकूल रूप से पालन कर सकते हैं तो आप जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन ध्यान रखे की इस स्कीम के अंतर्गत आपको किसी भी प्रकार का इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा।
Gst composition scheme लेने के लिए क्या-क्या करना पड़ेगा?
अगर आप कम्पोजीशन स्कीम का लाभ लेना चाहते हैं तो आपको जीएसटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा। अगर आप पहले से रेगुलर स्कीम में रेजिस्टर है और आपको अपनी स्कीम चेंज करना है तब आपको फॉर्म जीएसटी CMP-02 फॉर्म भरना होगा।
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कम्पोजीशन स्कीम लेने पर कौन-कौनसी रिटर्न फाइल करनी होती है?
कम्पोजीशन स्कीम लेने पर आपको निम्न प्रकार की रिटर्न्स को समय-समय पर फाइल करनी होती है:
CMP-08 फॉर्म : CMP-08 हर त्रि-महीने में फाइल करनी होती है। इसमें आपको अपने व्यवसाय का कुल टर्नओवर और उस पर लगने वाला GST दिखाना होता है। यदि आप इंटरस्टेट सप्लायर हैं तो आपको हर त्रि-महीने 18 तारीख तक CMP-08 फॉर्म फाइल करना होता है।
GSTR-4 वार्षिक रिटर्न: हर वर्ष आपको अपने व्यवसाय का एक एनुअल रिटर्न GSTR-4 फाइल करनी होती है। यह रिटर्न आपके वार्षिक व्यावसायिक गतिविधियों का एक सारांश प्रस्तुत करता है। इसमें आपको अपने टर्नओवर उस पर लगने वाला GST और दूसरी महत्वपूर्ण जानकारी दिखानी होती है।
Gst composition scheme में जीएसटी रेट्स क्या है?
कम्पोजीशन स्कीम के अंतर्गत अलग-अलग प्रकार के कारोबार के लिए अलग-अलग जीएसटी रेट्स होते हैं. आमतौर पर ये रेट्स 1% से लेकर 6% तक होते हैं लेकिन हर केटेगरी में अलग-अलग फिक्स रेट होता है.
निष्कर्ष: कम्पोजीशन स्कीम उन कारोबारियों और व्यवसायियों के लिए एक सुविधाजनक उपाय है जो छोटे लेवल पर अपना कारोबार चलाना चाहते हैं। इस स्कीम के अंतर्गत उनको कम रेट पर जीएसटी देना पड़ता है लेकिन साथ ही उनको इनपुट टैक्स क्रेडिट का भी हक़ नहीं होता है. यदि आप एलिजिबल हैं और आपका टर्नओवर भी इस स्कीम के अंतर्गत आता है तो आप इसका लाभ उठा सकते हैं।
FAQ: GST Composition Scheme
Q: Gst composition scheme क्या है?
Ans: जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम एक ऐसा व्यवस्था है जिसमे छोटे और माध्यम व्यवसायियों को आसान तरीके से जीएसटी भुगतान करने की सुविधा प्रदान की जाती है। इस स्कीम के तहत व्यवसायियों को उनके टर्नओवर के आधार पर फिक्स रेट पर जीएसटी भरना होता है लेकिन उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होत।
Q: Gst composition scheme का उद्देश्य क्या है?
Ans: कम्पोजीशन स्कीम का उद्देश्य छोटे व्यवसायियों को जीएसटी प्रोसेस को सरल बनाना और उनके लिए लोअर टैक्स लायबिलिटी की सुविधा देना है। यह उनको आसानी से अपने व्यवसाय को चलने में मदद करता है और उनको ज्यादा पेपरवर्क से बचाता है।
Q: क्या सभी व्यवसायी Gst composition scheme का लाभ उठा सकते हैं?
Ans: नहीं सभी व्यवसायी कम्पोजीशन स्कीम का लाभ नहीं उठा सकते। इस स्कीम के अंतर्गत कुछ शर्तें होती हैं जैसे की व्यवसाय का टर्नओवर गुड्स या सर्विसेज की प्रकृति और राज्य या बाहर की सप्लाइज। यदि आप इन शर्तों को पूरा नहीं कर पाते तो आप कम्पोजीशन स्कीम में नहीं ले सकते।
Q: क्या Gst composition scheme लेने वाले व्यवसायियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा?
Ans: नहीं कम्पोजीशन स्कीम लेने वाले व्यवसायियों को किसी भी प्रकार का इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। यानि की वह अपने Purchase पर लगे जीएसटी को अपने व्यवसाय में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
Q: Gst composition scheme के अंतर्गत रिटर्न्स फाइल करनी होती हैं या नहीं?
Ans: हाँ कम्पोजीशन स्कीम के अंतर्गत व्यवसायियों को नियमित रूप से रिटर्न्स फाइल करनी होती हैं। यह रिटर्न्स हर त्रि-महीने और एक वार्षिक बेसिस पर होती हैं जिनमे आपको अपने टर्नओवर और जीएसटी भुगतान से सम्बंधित जानकारी प्रस्तुत करनी होती है।
Q: क्या Gst composition scheme के अंतर्गत कारोबारी व्यवसायी अन्तर-स्टेट सप्लाइज कर सकते हैं?
Ans: नहीं कम्पोजीशन स्कीम लेने वाले कारोबारी व्यवसायी सिर्फ राज्य के अंदर (इंटरस्टेट) व्यापार कर सकते हैं। यदि आप दूसरे राज्यों में व्यापार करते हैं तो आपको कम्पोजीशन स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा।
Q: क्या कम्पोजीशन स्कीम एक बार आ जाने के बाद बदलना पॉसिबल है?
Ans: हाँ कम्पोजीशन स्कीम एक बार आ जाने के बाद भी आप उसे बदल सकते हैं। लेकिन इसमें कुछ नियम होते हैं और आपको उस पर अमल करते समय ध्यान रखना चाहिए।
Q: Gst composition scheme के अंतर्गत कितने टर्नओवर तक का लाभ उठाया जा सकता है?
Ans: कम्पोजीशन स्कीम के अंतर्गत लाभ उठाने के लिए व्यवसाय का वार्षिक टर्नओवर 1.5 करोड़ तक होना चाहिए। इससे अधिक टर्नओवर वाले व्यवसायियों को इस स्कीम का लाभ नहीं मिलता।
इन सवालों के जवाब से आपको जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम के बारे में अधिक जानकारी मिल जाएगी और आप समझ सकते हैं की यह स्कीम आपके व्यवसाय के लिए उपयोगी है या नहीं.
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